Thursday, September 22, 2016

Thursday, July 14, 2016

Cow need to be National animal reward


Nation most of openions of Gaushala गौहत्या रोकने के उपाय 1. गौसंवर्धन ( गौ वंश सुधार ) & एम्ब्र्यो ट्रांसफर tharparkarहम सब को ज्ञात है की सभी जीव में माँ और बाप के ५० -५० % गुण होते है.वैसे ही सर्व श्रेष्ठ गुणों वाले साँढ़ (जिसकी माँ सर्वाधिक दूध देती हो )के साथ गाय का संवर्धन करने से आगामी पीढ़ी का दूध उत्पादन खूब बढ़ता है.बछड़ी को पर्याप्त दूध पिने देने से उसकी सेहत बहुत बढ़िया रहती है.वह भविष्य में ज्यादा दूध देती है. निम्न गुणों वाले साँढ़ के साथ निम्न गुणों वाली गाय का संवर्धन गौहत्या का प्रमुख कारन है.अन्त दोनों का संवर्धन बंध करके उनके गोबर और गौमूत्र का लाभ उठाना चाहिए. *विदेशो में उन्नत गुणों के युक्त गायों का उच्च गुणों वाले साँढ़ से ही किया जाता है.इसलिए देसी गाय सबसे ज्यादा दूध देती है. * एम्ब्र्यो ट्रांसफर से उत्तम गुणों वाली गाय बहुत जल्दी पैदा की जा सकती है.इन्ही सभी उपाय के कारन ब्राज़ील में गिर गाय का ६२ लीटर और कांकरेजी गाय का ४५ लीटर /दिन का रिकॉर्ड है.वहा हर गाय १०००० लीटर/ साल से ज्यादा दूध देती है. ‪सार‬ - १ बढ़िया साँढ़ १००० गौमाता का वंश सुधार सकता है. 2-3. चारागाह का सर्वांगी विकास और जलसंचय चारागाह में निजी दबावों को हटा कर बेकार काँटों वाली ज़ाडिया -वनस्पति को दूर कर के गुणकारी घास ऐवम आयुर्वेदिक वनस्पति जैसे की शतावरी ,जीवंती,गिलोय ,सरगवा ..घेहु-जौ के ज्वारे ,तुलसी जैसे गुणों वाली वनस्पति गौमाता को खिलाने से (दूध और उसके गुणों में वृद्धि )की जा सकती है.इस औषधिओ की खेती भी की जा सकती है. जन भागीदारी से सब से अच्छा और बढ़िया परिणाम मिलता है. जलसंचय में चेक डैम ,रिवर्स बोरिंग सिस्टम(वर्षा का पानी जमीन में उतारना )तालाब को गहरे करने की अनेक उपायो से ग्रीष्म ऋतु में पानी की कमी ऐवम घास चारे की समस्या का समाधान होगा. नोट -चारा को मशीन से कटाई करके खिलाने से ३०% घास का बिगाड़ रोका जा सकता है. चारागाह में स्प्रिंकलर (फ़वारा) सिस्टम लगा कर १२ महीने ताज़ी हरी घास प्राप्त हो सकती है. सार – जलसंचय और चारागाह(गौचरान) के विकास से बारह महीना पानी-हरा घास गौमाता को मिलेगा और दुघ उत्पादन एवं दूध के गुण भी बढ़ेगा. 3. गोबर(bio) गैस प्लांट्स & आर्गेनिक खाद ,गौमूत्र पेस्टिसाइड से सजीव खेती gobar gas लेटेस्ट संसोधन से मालूम हुवा है की १ ही गौमाता के पुरे गोबर को गोबर गैस प्लांट्स में इसतमाल किया जाये तो २२५ लीटर पेट्रोल के बराबर गैस १ साल में प्राप्त किया जा सकता है.सोचिये हमारे पास ५० करोड़ गौवंश हो तो कितना गैस मिल सकता है. बड़े गोबर गैस (सामूहिक )पर तो कार्बन क्रेडिट मिलती है जिस से विदेशी मुद्रा भी प्राप्त की जा सकती है . गोबर गैस की राबड़ी उत्तम खाद है.उसमे आर्गेनिक वेस्टेज +तालाब की मिटटी+ बैक्टीरिया कल्चर + केंचुए मिला कर बेस्ट खाद(black gold)बनती है.विदेशी संसोधन के हिसाब से २-३ साल भर में रासायनिक खाद से बढ़िया उत्पादन मिलता है.गौवंश के मूत्र से कुदरती जंतुनाशक को ३-३ अमेरिकी पेटेंट मिले है.मृत गाय के सिंग ऐवम शरीर से उत्तम खाद बनती है. सरकार को अपने अल्प शिक्षित किशानो को इस प्रकार की जाग्रति फैला कर इस तरह से खेती को प्रोत्साहन देना चाहिए .क्योकि इससे रासायनिक खाद + केमिकल जंतुनाशक के पीछे होने वाले खर्च को सुन्य किया जा सकता है ऐवम इसके पीछे होने वाली बीमारियो के खर्च में कटौती आ सकती है.कैंसर ट्रैन बंध हो सकती है. पर अपने बड़े बड़े कोंग्रेसी नेताओ के कतलखाने (गौमाँश एक्सपोर्ट के लिए) चलते है इसलिए यह लोग इसको प्रोत्साहित नहीं करते है.मोदीजी इसको बंध करवा सकते है. रासायनिक खाद और केमिकल जंतुनाशक धरती माता पर बलात्कार समान है.यह बंध होना चाहिए. हर गौशाला जो बूढ़े गौवंश को संभाल रहा है वह आसपास की बड़ी सिटी का आर्गेनिक कचरे को फ़र्टिलाइज़र बना कर सिटी के कचरे में से पैसे कमा सकता है.गौवंश गौधन है उसको बोज़ मत बनाओ. गोबर में ज़हर सोखने की अदभुत शक्ति है तो रिसर्च कर के ज़हरीला इंडस्ट्रियल कचरे को न्यूट्रल बनाया जा सकता है. सार - ऑर्गेनिक खाद से उत्पादन बढ़ने के इलावा १/५ पानी की खपत होती है.और भयंकर बीमारिया से नहीं मरना चाहते हो तो इसका प्रचार करो. 5. पंचगव्य और गौमूत्र से भयंकर रोगो से मुक्ति panchgavyaभगवन श्री कृष्ण ने गीता में कहा है की कौन सा शारीरिक या मानसिक रोग है जो पंचगव्य से नहीं मिटता .अरे इससे तो आदमी के पापो का भी नाश होता है और सात्विक बुद्धि बढ़ती है.भगवान को युही सबसे प्यारी गौमाता नहीं थी. आप जानते हो की गाय के दूध+ दही + घी+ गौमूत्र + गोबर के सब के अपने अलग गुण होते है.अगर इनसब को मिला कर पंचगव्य बनाया जाये तो कितना शक्तिशाली औषध बनेगा. इनसे बना पंचगव्य घृत & महापंचगव्य घृत कैंसर,(एड्स )जैसे अनेक बीमारी में उपयोगी है.पंचगव्य के बहुत सारे सेंटर पुरे देश में खुल रहे है.**यह भविष्य की चिकित्सा पद्धति होगी.क्यों की विलायती एलोपैथी के एंटीबायोटिक & स्टेरॉयड्स के बहुत साइड इफ़ेक्ट है.और यह रोगो के कारन को जानकर उसको मिटाने की जगह रोगो को दबाने का काम करती है. अपने आयुर्वेद में गौमाता को चलता फिरता औषधालय कहा गया है. चारागाह का चारा खाने वाली गौमाता का सिर्फ धारोष्ण( दोहने के बाद तुरंत का )दूध पर रहने वालो का ३० से १८० दिनों में कायाकल्प हो जाता है. गौजरन (सुबह का पहला गौमूत्र) सुबह खाली पेट पिने से भयंकर बीमारी मिटती है.जो नहीं पि सकते उनके लिए गौमूत्र से बना पाउडर भी अभी उपलब्ध है.उनका फायदा उठाये. बहुत सारी आयुर्वेदिक औषधि में गौमूत्र मिलाने से उसका गुण अनेक गुना बढ़ जाता है. सार – पंचगव्य दैवी चिकित्सा है.यह भविष्य की चिकित्सा पद्धति होगी.research के रिजल्ट बाद दुनिया सलाम करेगी. 6. गोबर और गौमूत्र के द्वारा कॉस्मेटिक & डोमेस्टिक प्रोडक्ट से रोजगारी निर्माण और गौ स्वावलम्बन से समृद्ध हिंदुस्तान का निर्माण panch soapक्या आप जानते हो की गौमूत्र से बना फिनायल (पोछे के लिए लिक्विड )वर्ल्ड बेस्ट फिनायल है क्यों की गौमूत्र वर्ल्ड बेस्ट एंटीसेप्टिक ,एंटीबैक्टीरियल,एंटीवायरल है. इनसे टूथपेस्ट ,शैम्पू ,अगरबत्ती ,हैंडवॉश,हेयर आयल,साबुन ,जैसे अनेक प्रोडक्ट बनती है.और सब से बेस्ट है. केमिकल युक्त मच्छर अगरबत्ती से २० सिगरेट जितना खतरनाक धुँआ निकलता है.पर गोबर और नीम से बनी अगरबत्ती संपूर्ण निर्दोष होती है.और १००% रिजल्ट है. और गोबर से बनी अगरबत्ती से वातावरण में पॉजिटिव ऊर्जा फैलती है और देवी-देवता भी प्रस्सन रहते है. यह सब प्रोडक्ट गृह उद्योग के द्वारा बनाई जा सकती है.इससे बेरोजगारी हटाई जा सकती है और विदेशी कंपनी द्वारा चलाई जा रही लूट से देश को बचाया जा सकता है. मैं ज्यादातर इससे बनी प्रोडक्ट इस्तेमाल कर रहा हूँ. आप भी इस टाइप की प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करके एवं सबको प्रेरित करके गौमाता को स्वावलम्बित करके उसे बचाने में सहयोग करे.क्यों की बैठे बैठे खिलाना हमारी मूर्खता ऐवम गौहत्या की मुख्य वजह है. 7. अग्निहोत्र का चिकित्सा ऐवम खेती में उपयोग cow dungक्या आप जानते हो की सूखे गोबर के कंडे जापान कंटेनर भर भर के राजस्थान से मंगवा रहा है.क्यों की उधर वातावरण बहुत प्रदूषित हो गया है.जर्मनी और अन्य देश भी इसपर बहुत रिसर्च कर रहे है. अग्निहोत्र वातावरण (हवा पानी ) शुद्धिकरण के साथ एटॉमिक रेडिएशन की असर को कम करता है.बरसात लाने मे भी सहायक है.यह विज्ञानिको ने सिद्ध किया है. अग्निहोत्र में सूर्योदय ऐवम सूर्यास्त के समय मिटटी या तांबे के पिरामिड जैसे बर्तन में गोबर के कंडे के साथ हवन सामग्री और अक्षत चावल को गाय के घी में भिगो कर मंत्रोच्चार के साथ आहुति देने से अग्नि के गुण हमारे में आते है. भयंकर बीमारी जैसे की cancer, HIV जैसी अनेक बीमारिया ठीक होती है. खेतीबाड़ी में यह करने से फसल जंतु मुक्त और उत्पादन बढ़ता है, यह अनुशंधान से सिद्ध हुवा है. इससे घरमे पॉजिटिव ऊर्जा बढ़ने से मन की शुद्धि होती है. मेरी पत्नी रोज शाम को अग्निहोत्र करती है. आप भी अपने घर में यह करे और दिव्य अनुभूती करे. 8. बैल संचालित जनरेटर,वाटर टरबाइन पंप,आटा चक्की,तेल निकालने का कोल्हू ,गियर वाला हाई स्पीड बैल गाड़ी जैसे अनेक विविध प्रयोग bull generator दोस्तों आज ज्यादातर किशान बैल रखने को तैयार नहीं है क्यों की खेतीबाड़ी में साल में १महिने से ज्यादा उपयोगिता नहीं होती और बैठे बैठे खिलाना पड़ता है पर इसकी शारीरिक ताकत को अन्य उपयोग जैसे की इलेक्ट्रिसिटी की पीक डिमांड के टाइम पुरे हिंदुस्तान के बेलो को जनरेटर और पॉवरग्रिड के साथ जोड़ दिया जय तो १ बैल दिन की २५-३० यूनिट इलेक्ट्रिसिटी पैदा करने की ताकत रखता है. हिदुस्तान में तो करोडो है, उनके गोबर को गैस बनाकर भी इलेक्ट्रिसिटी पैदा की जा सकती है.और गोबर की स्लरी से आर्गेनिक खाद बनाया जा सकता है.कुछ तो नया करो. १०० फ़ीट तक पानी हो तो डीजल इंजन की जगह वाटर टरबाइन पंप चलाया जा सकता है .पानी का लेवल ज्यादा हो तो जलसंचय & सजीव खेती द्वारा पानी का लेवल बढ़ाया जा सकता है. बैल से आटा चक्की ,तेल निकालने का कोल्हू गियर वाला बैल गाड़ी (स्पीड ३५ km/hr) यह सब चला कर इलेक्ट्रिसिटी & डीजल की खपत करके विदेशी मुद्रा बचाकर पर्यावरण का संरक्षण किया जा सकता है. 9. AMUL जैसी डेरी उद्योग को सही रस्ते पर लाना fresh milk क्या‬ आप जानते हो की गौहत्या और डायबिटिक,हार्ट,कैंसर जैसी बीमारिया अमूल डेरी की वजह से बढ़ी है?? पहले हमारा देश गौपालक था.लेकिन अमूल ने उसको बादमे पशुपालक (भेंस)और बाद में सुवरपालक (HF ,जर्सी जैसे विदेशी सुवर के जीन्स वाले जनावर देश को बर्बाद करने लाये) बनाया. source – Govt of gujarat. १९८७-२००७ के २० साल में न्यूज़ीलैंड के डेरी साइंटिस्ट keith woodford ने रिसर्च में प्रूव किया था की विदेशी जनावर में BCM -७ नामक ज़हर है जो रोगप्रतिकारक शक्ति को खत्म करता रहता है.और देश के गर्म और नमी युक्त वातावरण मे यह टी.बी.और जेडी बुसोलोसिस बिमारी से पीडीत रहती है इस के दुघ मे परु(pus cell)पाया जाता है. फिरभी अमूल के संस्थापक सुवर-वर्गीस कुरियन ने इसको प्रोत्साहन देना चालू रखा और अभी भी अमूल के चेयरमैन यही कर रहे हे.विदेश में देशी गौमाता सर्वाधिक दूध देती है (गिर गाय ६२ लीटर/दिन काँकरेजी ,ओंगोल गाय ४५ l/d देती है .क्या अमूल देश के लोगोको बीमार करने लिए विदेशी ताकत का हत्था बना हुवा है. CBI से इसकी जांच करवाओ. यह लोग अमृत समान गौमाता के दुघ,गौमूञ,गोबर के गुणो को जनता को नही बताते. विदेशी‬ जनावर माता नहीं पुतना मौसी है याद रखो कोई देशप्रेमी NGO इस पर सुप्रीम कोर्ट में केस कर के इस विदेशी जनावर को देशनिकाल दिलवाएगा क्या ? pasteurization‬ & homogenization दूध के सारे विटामिन्स खत्म कर देता है.२ दिनों का बासी दूध तामसी हो जाता है. अमूल पशआहार मे हडडी का चुरा मिलाता है जिससे जनावर-गाय बिमार होते हे. फिर ऊस को ऐंटीबायोटिक का डोझ देके और जहरीला बनाते हे. अमूल दुघ छोडो, गौशाला की देशी गाय का दुघ जयादा दाम देके पीओ और स्वस्थ, मस्त जीओ. अमूल ने हिंदुस्तानी परंपरा के मुतबिग घी बंनाने की जगह मलाई(milk क्रीम) को डायरेक्ट गर्म करके नकली घी (butter oil )बेच के भारतीयों को हार्ट पेशेंट बनाया है. ‎विदेश‬ में भारतीय गाय के दूध का दाम विदेशी जनावर से ३ गुना है.क्या देश के गौपालक और जनता के बारे में अमूल नहीं सोचेगी. *‪‎एक‬ कहावत हे कि जेसा अन्न वेसा मन* तामसी(भेंस)और झहरीला(विदेशी जनावर)का दुध से देश के लोग मतलबी और लागणीविहीन बनने के साथ कमजोर,निस्तेज,निवीर्य बन रहै है.गुजरात और देश में बच्चो में कुपोषण ,बालमृत्यु बढ़ी है उसमे अमूल का अहम योगदान है. इसलिए देसी गाय का दूध नमिले तोभी अमूल का त्याग करो. 10. फालतू धार्मिक खर्च -दान (मंदिर )को बंध करके गौमाता के गुणों का प्रचार एवं गौहत्या रोकने के सही तरीको पर काम कर गौमाता का सन्मान और देश समृद्ध बनाना daanहमारे‬ धर्म में लिखा गया है की (धर्म -अर्थ-काम-मोक्ष) यह सब हमारे धर्म के चार स्तम्भ है और यह सब गौमाता में मोजूद है. ‪गौमाता‬ की सेवा से ३३ कोटि देवी-देवता प्रसन रहते है कोई मंदिर या तीर्थ जाने की जरूर नहीं है – >सिर्फ गौसेवा . ‪इस‬ के दूध ,गौमूत्र,गोबर बहुत उपयोगी है.इसका सही इस्तमाल आरोग्य-धन देता है गौसेवा से हमारे वंश की निरंतर वृद्धि होती है. गौसेवा से सात्विक बुद्धि से गौलोक में स्थान मिलता है. हमारे धर्म में लिखा है की जिस भूमि पर गौमाता का एक बूँद लहू का गिरता है वहां किया हुवा जप,तप ,दान-पुण्य सब व्यर्थ जाता है .पहले इसको बंध करवाओ.फिर दूसरा सोचो: मारे धर्म में ५०% दान गौमाता के लिए बाद में दूसरे जीवो के लिए (सही दिशा की गौसेवा से मनुष्य भी सुखी रहेगा सात्विक बुद्धि की वजहसे ) करो. गौमाता देवी-देवता की भी माता है. हमारा बड़े मंदिरो में दिया दान सरकार लेकर मस्जिद,मदरसा के खर्च करती है .अब तो समजो सोचो. सार ‬- गौमाता को स्वावलम्बी बनने के लिए दान करो. गौहत्या बंध करने में योगदान करके महापुण्य कमाओ. इस उपयोगी जानकारी को पूरी ताकत से समाज में फैलाये.अगर आप सच्चे हिन्दू की संतान हो. मित्रो , मैँ अक्सर देखता हुँ कि ज्यादातर हिँदू भाई अपने जीवन मेँ मँदिर बनाने या मँदिरोँ मे दान देने मेँ बहुत धन खर्च करते हैँ ।। हो सकता है उनके विचार मेँ ये पुण्य कर्म हो ।। लेकिन मेरे विचार थोडे अलग हैँ: जिस देश मे भूख से मरने वालोँ की सँख्या लाखोँ मेँ हो । जिस देश मेँ एक तरफ गौ को माता कहकर पूजा जाता है और दूसरी तरफ उसी गौ माता को सडकोँ पर आवारा छोड दिया जाता हो,जहाँ से उन्हेँ कत्लखाने मेँ पहुँचा दिया जाता है ।। ऐसी सूरत मेँ मँदिर बनाना या मँदिरोँ मे दान देना कहाँ का पुण्य है ये एक गँभीर सवाल है ।। मेरा मानना है कि उसी धन से अगर अच्छी सी गौशालाऐँ बनाई जायेँ तो उससे बडा कोई पुण्य नहीँ है उससे बडा कोई मँदिर नहीँ है उससे बडा कोई दान नहीँ है ।। गौशालायेँ बनाने से गौमाता की सेवा के साथ-साथ दूध से दही मक्खन घी पनीर गोबर से गोबर गैस साबुन अगरबती और जैविक खाद गोमूत्र से औषधियाँ बनाकर देश के विकास मे सहयोग किया जा सकता है ।। बडे स्तर पर काम करने से कटते हुये गौवँश की रक्षा होगी । कृषि उत्पादन विषमुक्त होगा । लाखोँ बेरोजगार लोगोँ को रोजगार मिलेगा ।। श्री राजीव दिक्षित जी भी ये कहते थे कि गौ माता की सेवा और रक्षा ही भारत की रक्षा है ।।

Thursday, May 8, 2014

Protection Of Cow

गौहत्या रोकने के उपाय 1. गौसंवर्धन ( गौ वंश सुधार ) & एम्ब्र्यो ट्रांसफर tharparkarहम सब को ज्ञात है की सभी जीव में माँ और बाप के ५० -५० % गुण होते है.वैसे ही सर्व श्रेष्ठ गुणों वाले साँढ़ (जिसकी माँ सर्वाधिक दूध देती हो )के साथ गाय का संवर्धन करने से आगामी पीढ़ी का दूध उत्पादन खूब बढ़ता है.बछड़ी को पर्याप्त दूध पिने देने से उसकी सेहत बहुत बढ़िया रहती है.वह भविष्य में ज्यादा दूध देती है. निम्न गुणों वाले साँढ़ के साथ निम्न गुणों वाली गाय का संवर्धन गौहत्या का प्रमुख कारन है.अन्त दोनों का संवर्धन बंध करके उनके गोबर और गौमूत्र का लाभ उठाना चाहिए. *विदेशो में उन्नत गुणों के युक्त गायों का उच्च गुणों वाले साँढ़ से ही किया जाता है.इसलिए देसी गाय सबसे ज्यादा दूध देती है. * एम्ब्र्यो ट्रांसफर से उत्तम गुणों वाली गाय बहुत जल्दी पैदा की जा सकती है.इन्ही सभी उपाय के कारन ब्राज़ील में गिर गाय का ६२ लीटर और कांकरेजी गाय का ४५ लीटर /दिन का रिकॉर्ड है.वहा हर गाय १०००० लीटर/ साल से ज्यादा दूध देती है. ‪सार‬ - १ बढ़िया साँढ़ १००० गौमाता का वंश सुधार सकता है. 2-3. चारागाह का सर्वांगी विकास और जलसंचय चारागाह में निजी दबावों को हटा कर बेकार काँटों वाली ज़ाडिया -वनस्पति को दूर कर के गुणकारी घास ऐवम आयुर्वेदिक वनस्पति जैसे की शतावरी ,जीवंती,गिलोय ,सरगवा ..घेहु-जौ के ज्वारे ,तुलसी जैसे गुणों वाली वनस्पति गौमाता को खिलाने से (दूध और उसके गुणों में वृद्धि )की जा सकती है.इस औषधिओ की खेती भी की जा सकती है. जन भागीदारी से सब से अच्छा और बढ़िया परिणाम मिलता है. जलसंचय में चेक डैम ,रिवर्स बोरिंग सिस्टम(वर्षा का पानी जमीन में उतारना )तालाब को गहरे करने की अनेक उपायो से ग्रीष्म ऋतु में पानी की कमी ऐवम घास चारे की समस्या का समाधान होगा. नोट -चारा को मशीन से कटाई करके खिलाने से ३०% घास का बिगाड़ रोका जा सकता है. चारागाह में स्प्रिंकलर (फ़वारा) सिस्टम लगा कर १२ महीने ताज़ी हरी घास प्राप्त हो सकती है. सार – जलसंचय और चारागाह(गौचरान) के विकास से बारह महीना पानी-हरा घास गौमाता को मिलेगा और दुघ उत्पादन एवं दूध के गुण भी बढ़ेगा. 3. गोबर(bio) गैस प्लांट्स & आर्गेनिक खाद ,गौमूत्र पेस्टिसाइड से सजीव खेती gobar gas लेटेस्ट संसोधन से मालूम हुवा है की १ ही गौमाता के पुरे गोबर को गोबर गैस प्लांट्स में इसतमाल किया जाये तो २२५ लीटर पेट्रोल के बराबर गैस १ साल में प्राप्त किया जा सकता है.सोचिये हमारे पास ५० करोड़ गौवंश हो तो कितना गैस मिल सकता है. बड़े गोबर गैस (सामूहिक )पर तो कार्बन क्रेडिट मिलती है जिस से विदेशी मुद्रा भी प्राप्त की जा सकती है . गोबर गैस की राबड़ी उत्तम खाद है.उसमे आर्गेनिक वेस्टेज +तालाब की मिटटी+ बैक्टीरिया कल्चर + केंचुए मिला कर बेस्ट खाद(black gold)बनती है.विदेशी संसोधन के हिसाब से २-३ साल भर में रासायनिक खाद से बढ़िया उत्पादन मिलता है.गौवंश के मूत्र से कुदरती जंतुनाशक को ३-३ अमेरिकी पेटेंट मिले है.मृत गाय के सिंग ऐवम शरीर से उत्तम खाद बनती है. सरकार को अपने अल्प शिक्षित किशानो को इस प्रकार की जाग्रति फैला कर इस तरह से खेती को प्रोत्साहन देना चाहिए .क्योकि इससे रासायनिक खाद + केमिकल जंतुनाशक के पीछे होने वाले खर्च को सुन्य किया जा सकता है ऐवम इसके पीछे होने वाली बीमारियो के खर्च में कटौती आ सकती है.कैंसर ट्रैन बंध हो सकती है. पर अपने बड़े बड़े कोंग्रेसी नेताओ के कतलखाने (गौमाँश एक्सपोर्ट के लिए) चलते है इसलिए यह लोग इसको प्रोत्साहित नहीं करते है.मोदीजी इसको बंध करवा सकते है. रासायनिक खाद और केमिकल जंतुनाशक धरती माता पर बलात्कार समान है.यह बंध होना चाहिए. हर गौशाला जो बूढ़े गौवंश को संभाल रहा है वह आसपास की बड़ी सिटी का आर्गेनिक कचरे को फ़र्टिलाइज़र बना कर सिटी के कचरे में से पैसे कमा सकता है.गौवंश गौधन है उसको बोज़ मत बनाओ. गोबर में ज़हर सोखने की अदभुत शक्ति है तो रिसर्च कर के ज़हरीला इंडस्ट्रियल कचरे को न्यूट्रल बनाया जा सकता है. सार - ऑर्गेनिक खाद से उत्पादन बढ़ने के इलावा १/५ पानी की खपत होती है.और भयंकर बीमारिया से नहीं मरना चाहते हो तो इसका प्रचार करो. 5. पंचगव्य और गौमूत्र से भयंकर रोगो से मुक्ति panchgavyaभगवन श्री कृष्ण ने गीता में कहा है की कौन सा शारीरिक या मानसिक रोग है जो पंचगव्य से नहीं मिटता .अरे इससे तो आदमी के पापो का भी नाश होता है और सात्विक बुद्धि बढ़ती है.भगवान को युही सबसे प्यारी गौमाता नहीं थी. आप जानते हो की गाय के दूध+ दही + घी+ गौमूत्र + गोबर के सब के अपने अलग गुण होते है.अगर इनसब को मिला कर पंचगव्य बनाया जाये तो कितना शक्तिशाली औषध बनेगा. इनसे बना पंचगव्य घृत & महापंचगव्य घृत कैंसर,(एड्स )जैसे अनेक बीमारी में उपयोगी है.पंचगव्य के बहुत सारे सेंटर पुरे देश में खुल रहे है.**यह भविष्य की चिकित्सा पद्धति होगी.क्यों की विलायती एलोपैथी के एंटीबायोटिक & स्टेरॉयड्स के बहुत साइड इफ़ेक्ट है.और यह रोगो के कारन को जानकर उसको मिटाने की जगह रोगो को दबाने का काम करती है. अपने आयुर्वेद में गौमाता को चलता फिरता औषधालय कहा गया है. चारागाह का चारा खाने वाली गौमाता का सिर्फ धारोष्ण( दोहने के बाद तुरंत का )दूध पर रहने वालो का ३० से १८० दिनों में कायाकल्प हो जाता है. गौजरन (सुबह का पहला गौमूत्र) सुबह खाली पेट पिने से भयंकर बीमारी मिटती है.जो नहीं पि सकते उनके लिए गौमूत्र से बना पाउडर भी अभी उपलब्ध है.उनका फायदा उठाये. बहुत सारी आयुर्वेदिक औषधि में गौमूत्र मिलाने से उसका गुण अनेक गुना बढ़ जाता है. सार – पंचगव्य दैवी चिकित्सा है.यह भविष्य की चिकित्सा पद्धति होगी.research के रिजल्ट बाद दुनिया सलाम करेगी. 6. गोबर और गौमूत्र के द्वारा कॉस्मेटिक & डोमेस्टिक प्रोडक्ट से रोजगारी निर्माण और गौ स्वावलम्बन से समृद्ध हिंदुस्तान का निर्माण panch soapक्या आप जानते हो की गौमूत्र से बना फिनायल (पोछे के लिए लिक्विड )वर्ल्ड बेस्ट फिनायल है क्यों की गौमूत्र वर्ल्ड बेस्ट एंटीसेप्टिक ,एंटीबैक्टीरियल,एंटीवायरल है. इनसे टूथपेस्ट ,शैम्पू ,अगरबत्ती ,हैंडवॉश,हेयर आयल,साबुन ,जैसे अनेक प्रोडक्ट बनती है.और सब से बेस्ट है. केमिकल युक्त मच्छर अगरबत्ती से २० सिगरेट जितना खतरनाक धुँआ निकलता है.पर गोबर और नीम से बनी अगरबत्ती संपूर्ण निर्दोष होती है.और १००% रिजल्ट है. और गोबर से बनी अगरबत्ती से वातावरण में पॉजिटिव ऊर्जा फैलती है और देवी-देवता भी प्रस्सन रहते है. यह सब प्रोडक्ट गृह उद्योग के द्वारा बनाई जा सकती है.इससे बेरोजगारी हटाई जा सकती है और विदेशी कंपनी द्वारा चलाई जा रही लूट से देश को बचाया जा सकता है. मैं ज्यादातर इससे बनी प्रोडक्ट इस्तेमाल कर रहा हूँ. आप भी इस टाइप की प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करके एवं सबको प्रेरित करके गौमाता को स्वावलम्बित करके उसे बचाने में सहयोग करे.क्यों की बैठे बैठे खिलाना हमारी मूर्खता ऐवम गौहत्या की मुख्य वजह है. 7. अग्निहोत्र का चिकित्सा ऐवम खेती में उपयोग cow dungक्या आप जानते हो की सूखे गोबर के कंडे जापान कंटेनर भर भर के राजस्थान से मंगवा रहा है.क्यों की उधर वातावरण बहुत प्रदूषित हो गया है.जर्मनी और अन्य देश भी इसपर बहुत रिसर्च कर रहे है. अग्निहोत्र वातावरण (हवा पानी ) शुद्धिकरण के साथ एटॉमिक रेडिएशन की असर को कम करता है.बरसात लाने मे भी सहायक है.यह विज्ञानिको ने सिद्ध किया है. अग्निहोत्र में सूर्योदय ऐवम सूर्यास्त के समय मिटटी या तांबे के पिरामिड जैसे बर्तन में गोबर के कंडे के साथ हवन सामग्री और अक्षत चावल को गाय के घी में भिगो कर मंत्रोच्चार के साथ आहुति देने से अग्नि के गुण हमारे में आते है. भयंकर बीमारी जैसे की cancer, HIV जैसी अनेक बीमारिया ठीक होती है. खेतीबाड़ी में यह करने से फसल जंतु मुक्त और उत्पादन बढ़ता है, यह अनुशंधान से सिद्ध हुवा है. इससे घरमे पॉजिटिव ऊर्जा बढ़ने से मन की शुद्धि होती है. मेरी पत्नी रोज शाम को अग्निहोत्र करती है. आप भी अपने घर में यह करे और दिव्य अनुभूती करे. 8. बैल संचालित जनरेटर,वाटर टरबाइन पंप,आटा चक्की,तेल निकालने का कोल्हू ,गियर वाला हाई स्पीड बैल गाड़ी जैसे अनेक विविध प्रयोग bull generator दोस्तों आज ज्यादातर किशान बैल रखने को तैयार नहीं है क्यों की खेतीबाड़ी में साल में १महिने से ज्यादा उपयोगिता नहीं होती और बैठे बैठे खिलाना पड़ता है पर इसकी शारीरिक ताकत को अन्य उपयोग जैसे की इलेक्ट्रिसिटी की पीक डिमांड के टाइम पुरे हिंदुस्तान के बेलो को जनरेटर और पॉवरग्रिड के साथ जोड़ दिया जय तो १ बैल दिन की २५-३० यूनिट इलेक्ट्रिसिटी पैदा करने की ताकत रखता है. हिदुस्तान में तो करोडो है, उनके गोबर को गैस बनाकर भी इलेक्ट्रिसिटी पैदा की जा सकती है.और गोबर की स्लरी से आर्गेनिक खाद बनाया जा सकता है.कुछ तो नया करो. १०० फ़ीट तक पानी हो तो डीजल इंजन की जगह वाटर टरबाइन पंप चलाया जा सकता है .पानी का लेवल ज्यादा हो तो जलसंचय & सजीव खेती द्वारा पानी का लेवल बढ़ाया जा सकता है. बैल से आटा चक्की ,तेल निकालने का कोल्हू गियर वाला बैल गाड़ी (स्पीड ३५ km/hr) यह सब चला कर इलेक्ट्रिसिटी & डीजल की खपत करके विदेशी मुद्रा बचाकर पर्यावरण का संरक्षण किया जा सकता है. 9. AMUL जैसी डेरी उद्योग को सही रस्ते पर लाना fresh milk क्या‬ आप जानते हो की गौहत्या और डायबिटिक,हार्ट,कैंसर जैसी बीमारिया अमूल डेरी की वजह से बढ़ी है?? पहले हमारा देश गौपालक था.लेकिन अमूल ने उसको बादमे पशुपालक (भेंस)और बाद में सुवरपालक (HF ,जर्सी जैसे विदेशी सुवर के जीन्स वाले जनावर देश को बर्बाद करने लाये) बनाया. source – Govt of gujarat. १९८७-२००७ के २० साल में न्यूज़ीलैंड के डेरी साइंटिस्ट keith woodford ने रिसर्च में प्रूव किया था की विदेशी जनावर में BCM -७ नामक ज़हर है जो रोगप्रतिकारक शक्ति को खत्म करता रहता है.और देश के गर्म और नमी युक्त वातावरण मे यह टी.बी.और जेडी बुसोलोसिस बिमारी से पीडीत रहती है इस के दुघ मे परु(pus cell)पाया जाता है. फिरभी अमूल के संस्थापक सुवर-वर्गीस कुरियन ने इसको प्रोत्साहन देना चालू रखा और अभी भी अमूल के चेयरमैन यही कर रहे हे.विदेश में देशी गौमाता सर्वाधिक दूध देती है (गिर गाय ६२ लीटर/दिन काँकरेजी ,ओंगोल गाय ४५ l/d देती है .क्या अमूल देश के लोगोको बीमार करने लिए विदेशी ताकत का हत्था बना हुवा है. CBI से इसकी जांच करवाओ. यह लोग अमृत समान गौमाता के दुघ,गौमूञ,गोबर के गुणो को जनता को नही बताते. विदेशी‬ जनावर माता नहीं पुतना मौसी है याद रखो कोई देशप्रेमी NGO इस पर सुप्रीम कोर्ट में केस कर के इस विदेशी जनावर को देशनिकाल दिलवाएगा क्या ? pasteurization‬ & homogenization दूध के सारे विटामिन्स खत्म कर देता है.२ दिनों का बासी दूध तामसी हो जाता है. अमूल पशआहार मे हडडी का चुरा मिलाता है जिससे जनावर-गाय बिमार होते हे. फिर ऊस को ऐंटीबायोटिक का डोझ देके और जहरीला बनाते हे. अमूल दुघ छोडो, गौशाला की देशी गाय का दुघ जयादा दाम देके पीओ और स्वस्थ, मस्त जीओ. अमूल ने हिंदुस्तानी परंपरा के मुतबिग घी बंनाने की जगह मलाई(milk क्रीम) को डायरेक्ट गर्म करके नकली घी (butter oil )बेच के भारतीयों को हार्ट पेशेंट बनाया है. ‎विदेश‬ में भारतीय गाय के दूध का दाम विदेशी जनावर से ३ गुना है.क्या देश के गौपालक और जनता के बारे में अमूल नहीं सोचेगी. *‪‎एक‬ कहावत हे कि जेसा अन्न वेसा मन* तामसी(भेंस)और झहरीला(विदेशी जनावर)का दुध से देश के लोग मतलबी और लागणीविहीन बनने के साथ कमजोर,निस्तेज,निवीर्य बन रहै है.गुजरात और देश में बच्चो में कुपोषण ,बालमृत्यु बढ़ी है उसमे अमूल का अहम योगदान है. इसलिए देसी गाय का दूध नमिले तोभी अमूल का त्याग करो. 10. फालतू धार्मिक खर्च -दान (मंदिर )को बंध करके गौमाता के गुणों का प्रचार एवं गौहत्या रोकने के सही तरीको पर काम कर गौमाता का सन्मान और देश समृद्ध बनाना daanहमारे‬ धर्म में लिखा गया है की (धर्म -अर्थ-काम-मोक्ष) यह सब हमारे धर्म के चार स्तम्भ है और यह सब गौमाता में मोजूद है. ‪गौमाता‬ की सेवा से ३३ कोटि देवी-देवता प्रसन रहते है कोई मंदिर या तीर्थ जाने की जरूर नहीं है – >सिर्फ गौसेवा . ‪इस‬ के दूध ,गौमूत्र,गोबर बहुत उपयोगी है.इसका सही इस्तमाल आरोग्य-धन देता है गौसेवा से हमारे वंश की निरंतर वृद्धि होती है. गौसेवा से सात्विक बुद्धि से गौलोक में स्थान मिलता है. हमारे धर्म में लिखा है की जिस भूमि पर गौमाता का एक बूँद लहू का गिरता है वहां किया हुवा जप,तप ,दान-पुण्य सब व्यर्थ जाता है .पहले इसको बंध करवाओ.फिर दूसरा सोचो: मारे धर्म में ५०% दान गौमाता के लिए बाद में दूसरे जीवो के लिए (सही दिशा की गौसेवा से मनुष्य भी सुखी रहेगा सात्विक बुद्धि की वजहसे ) करो. गौमाता देवी-देवता की भी माता है. हमारा बड़े मंदिरो में दिया दान सरकार लेकर मस्जिद,मदरसा के खर्च करती है .अब तो समजो सोचो. सार ‬- गौमाता को स्वावलम्बी बनने के लिए दान करो. गौहत्या बंध करने में योगदान करके महापुण्य कमाओ. इस उपयोगी जानकारी को पूरी ताकत से समाज में फैलाये.अगर आप सच्चे हिन्दू की संतान हो. मित्रो , मैँ अक्सर देखता हुँ कि ज्यादातर हिँदू भाई अपने जीवन मेँ मँदिर बनाने या मँदिरोँ मे दान देने मेँ बहुत धन खर्च करते हैँ ।। हो सकता है उनके विचार मेँ ये पुण्य कर्म हो ।। लेकिन मेरे विचार थोडे अलग हैँ: जिस देश मे भूख से मरने वालोँ की सँख्या लाखोँ मेँ हो । जिस देश मेँ एक तरफ गौ को माता कहकर पूजा जाता है और दूसरी तरफ उसी गौ माता को सडकोँ पर आवारा छोड दिया जाता हो,जहाँ से उन्हेँ कत्लखाने मेँ पहुँचा दिया जाता है ।। ऐसी सूरत मेँ मँदिर बनाना या मँदिरोँ मे दान देना कहाँ का पुण्य है ये एक गँभीर सवाल है ।। मेरा मानना है कि उसी धन से अगर अच्छी सी गौशालाऐँ बनाई जायेँ तो उससे बडा कोई पुण्य नहीँ है उससे बडा कोई मँदिर नहीँ है उससे बडा कोई दान नहीँ है ।। गौशालायेँ बनाने से गौमाता की सेवा के साथ-साथ दूध से दही मक्खन घी पनीर गोबर से गोबर गैस साबुन अगरबती और जैविक खाद गोमूत्र से औषधियाँ बनाकर देश के विकास मे सहयोग किया जा सकता है ।। बडे स्तर पर काम करने से कटते हुये गौवँश की रक्षा होगी । कृषि उत्पादन विषमुक्त होगा । लाखोँ बेरोजगार लोगोँ को रोजगार मिलेगा ।। श्री राजीव दिक्षित जी भी ये कहते थे कि गौ माता की सेवा और रक्षा ही भारत की रक्षा है ।।